Shovana Narayan " नारी ईश्वर की परम चेतना का दूसरा रुप है जिसके माध्यम से परमात्मा सृष्टि का नव सृजन करता है। अक्षर ब्रह्म के द्वारा सामाजिक उत्थान का अभिनव साहसिक प्रयास करने वाली विद्योतमा रुपी नारी शक्ति का सदैव आह्वान किया जाता रहेगा। "
- श्रीश्री कपिलावतार मौनी बाबा
विदुषी विद्योतमा राजकन्या थीं जिन्होंने समस्त शास्त्रों- वेदों, उपनिषदों, पुराणों तथा कामजन्य शास्त्रों का गहन अनुशीलन कर कालजयी साहित्य की रचना की तथा स्वेच्छा से अपने पति कालिदास की छाया में अदृश्य हो गयी थीं।
विदुषी विद्योतमा स्त्री शक्ति सम्मान का मुख्य उद्देश्य है - "उन रचयिताओ एवं अनुवादकों की श्रृंखला स्थापित करना जिन्हें संस्कृत साहित्य ने भुला दी है उन खोई हुई विदुषी नारियों के अनमोल अवदान को पुनः स्थापित करना ।"
आज यह सम्मान स्वयं सम्मानित हुआ है जब विदुषी पद्मश्री शोभना नारायण जी ने इसे ग्रहण कर रही हैं। कथक की सेवा में निरन्तर समर्पित श्रीमती नारायण ने साहित्य के माध्यम से भी कथक की भारतीय परंपरा को समृद्ध किया है। कला, संस्कृति के वैश्विक पटल पर कथक नृत्य व शैली में इनका अवदान आज की पीढ़ी के लिए मील का पत्थर है। शोभना जी ने 20 से अधिक महत्वपूर्ण रचनाओं की लेखिका भी है । आस्ट्रिया व भारत के विश्वविद्यालय ने अनेक मानद उपाधियाँ से सम्मानित किया है ।